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परियोजना के परिणाम सूचक- :-
परियोजना के नियोजन, क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन रणनीति, लक्ष्य प्राप्ति एवं परिणामों के सम्बन्ध में IFAD द्वारा परिणाम सूचक र्निधारित किया गया है। परिणाम सूचकों के आधार पर परियोजना का मूल्यांकन व अनुश्रवण किया जायेगा। परियोजना के परिणाम सूचक निम्नवत् हैः-
क्र0सं0 लक्ष्य परिणाम सूचक
1.परियोजना के अंतर्गत चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में भू-क्षरण में कमी एवं जल उपलब्धता में वृद्धि10 प्रतिशत वानस्पतिक क्षेत्र एवं जैव उत्पादकता में वृद्धि
2.बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना200 है० बंजर भूमि
3.बारानी क्षेत्र के अर्न्तगत सिंचित क्षेत्रफल में वृद्धि3800 है०
4.कृर्षकों द्वारा नवीन तकनीकों द्वारा फसल उत्पादन में वृद्धि60 प्रतिशत
5.परिवारों द्वारा नए लघु उद्योगों की स्थापना में वृद्धि5 प्रतिशत परिवार
6.परिवारों द्वारा पुर्व में स्थापित लघु उद्योगों का विसतार में वृद्धि10 प्रतिशत परिवार
7.परियोजना अर्न्तगत आजिविका संघों का सफल संचालन60 प्रतिशत आजिविका संघ
8.कृषकों द्वारा फसलों की नवीन विक्रय वृद्धि व विपणन हेतु बाजारीकरण में वृद्धि20 प्रतिशत
9.आजिविका संघों व उत्पादक समुहों की बाजार तक पँहुच में वृद्धि60 प्रतिशत
10.जलागम विकास के सीख का विस्तार80 प्रतिशत ग्राम पंचायतों का विकसित प्रदर्शन, जलागम विकास की सीख का अभिलेखीकरण तथा मीडिया एवं बैठकों द्वारा प्रचार-प्रसार।

परियोजना प्रबन्धन तथा क्रियान्वयन व्यवस्थायें -:-

भारत सरकार के अंतर्गत वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग केन्द्र स्तर पर नोडल एजेन्सी है, जोकि परियोजना की प्रगति समीक्षा करेगी। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में परियोजना स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया है। सचिव, ग्राम्य विकास जिसके सदस्य सचिव हैं। इसके अतिरिक्त सम्बन्धित विभागों के सचिव, मुख्य महाप्रबन्धक नाबार्ड तथा सी0ई0आई0 इन्डस्ट्री के अध्यक्ष समिति के सदस्य हैं।
जलागम प्रबन्ध निदेशालय स्तर पर ‘‘सहयोगी जलागम विकास‘‘ घटक के संचालन हेतु पृथक सोसाइटी ‘‘उत्तराखण्ड जलागम विकास इकाई’ का गठन किया गया है। जिसकी कार्यकारिणी समिति का अध्यक्ष मुख्य परियोजना निदेशक एवं सदस्य सचिव परियोजना निदेशक नामित हैं।
ग्राम पंचायतों तथा कृषक संघों द्वारा ग्राम पंचायत तथा सूक्ष्म जलागम स्तर पर परियोजना गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जायेगा। जलागम प्रबन्ध निदेशालय द्वारा ग्राम पंचायत जलागम विकास योजना के नियोजन, क्रियान्वयन व अनुश्रवण तथा कृषि व्यवसाय विकास हेतु सामाजिक जागरूकता के लिये क्षेत्रीय एन0जी0ओ0 को अनुबन्धित किया जायेगा।

परियोजना की ऑडिट एवं प्रोक्यूअरमेंट व्यवस्था -:-
परियोजना का आडिट प्रत्येक वर्ष IFAD की गाइड लाइन्स के अनुसार किये जाने की व्यवस्था है, जिसके लिए एक स्वतंत्र चार्टड एकाउन्ट फर्म का चयन पारदर्शिता तथा Competitive Process से किया जायेगा। परियोजना हेतु सामग्री, कार्य तथा सेवा (Goods, Works and Services) का Procurement उत्तराखण्ड क्रय नियम (2008) के अनुसार किया जायेगा, लेकिन सुगम संचालन तथा समय पर क्रियान्वयन के दृष्टिकोण से कुछ आंशिक संशोधन किए जा सकते हैं।

परियोजना लागत तथा वित्त पोषण -:-
सहभागी जलागम विकास की अनुमानित लागत लगभग रू0 286.94 करोड़ (IFAD मिशन के MTR द्वारा परियोजना के पुर्नसंरचना उपरान्त) है, जिसका उपघटकवार विवरण निम्नवत् हैः-
इस प्रकार परियोजना के सहभागी जलागम विकास घटक में IFAD, राज्य तथा लाभार्थी का अंश निम्नवत् हैः-
क्र0सं0 संस्था धनराशि (करोड़ रू0 में) प्रतिशत
1.आई0एफ0ए0डी0211.8173.82
2.राज्यांश55.9719.51
3.लाभार्थी अंश19.166.67
कुल286.94100

परियोजना के अंतर्गत लाभान्वित होने वाले हितभागी -:-
• मध्यम तथा लघु कृषक
1. जलागम उपचार, विशेष रूप से वर्षा जल संरक्षण तथा जल संग्रहण संरचनायें, जिनसे जल उपलब्धता में वृद्धि होगी;
2. बारानी कृषि विकास को सम्मिलित करते हुये कृषि औद्यानिकी तथा पशुधन क्षेत्रों में सहयोगी सेवाओं; तथा
3. कृषि व्यवसाय विकास तथा बाजार सम्पर्क गतिविधियों से लाभान्वित हो सकेंगे।
• निर्बल वर्ग (सीमान्त भूमिधर, भूमिहीन तथा गरीब महिला वर्ग)
परियोजना द्वारा निर्वल वर्ग के परिवार मुख्यतः पशुधन, पारम्परिक व्यवसाय, सेवा क्षेत्र आदि में विकसित आय-अर्जक गतिविधियों द्वारा लाभान्वित हो सकेंगे।
• स्थानीय संस्थान जैसे ग्राम पंचायतें-
परियोजना प्रबन्धन तथा सामाजिक जबावदेही के क्षेत्र में, विशेष रूप से ग्राम पंचायत जलागम विकास योजना (जी0पी0डब्ल्यू0डी0पी0) के निरूपण तथा क्रियान्वयन हेतु दक्षता प्राप्त कर सकेंगी। आई0एल0एस0पी0 में सूक्ष्म जलागम में स्थित ग्राम पंचायतों की सीमा से बाहर स्थित क्षेत्रों (Inter GP Areaa) तथा आरक्षित वन क्षेत्रों में वन पंचायतों के माध्यम से कार्य किये जायेंगे।
• उत्पादक समूह एवं आजीविका समूहः
परियोजना द्वारा समुदाय आधारित संगठनों जैसे जल उपयोगकर्ता समूह (UG), उत्पादक समूह (PG), निर्बल वर्ग के उत्पादक समूह (UPG), तथा आजीविका संघ (LG) भी गठित किये जायेंगे।
• जलागम विकास के प्रमुख संस्थागत हितभागीः
परियोजना में मुख्य रूप से गैर सरकारी तकनीकी संस्था (TA) जलागम प्रबन्ध निदेशालय के अधीन कार्यालय हितभागी होंगे।