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एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना विकास का उद्देश्य (पी0डी0ओ0)



परियोजना का उद्देश्य उत्तराखण्ड राज्य के पर्वतीय जिलों में चिरन्तर जीविका के अवसरों के माध्यम से गरीबी को कम करना है। इस हेतु परियोजना में दो तरह की नीतियाँ अपनाई जायेंगी जिसमें से एक ओर खाद्य उत्पादन प्रणाली को विकसित किया जायेगा, जिसमें उन्नत तकनीकी को अपनाते हुये परम्परागत खेती को तथा पशुधन का विकास किया जायेगा। इसके साथ-साथ अतिरिक्त उत्पाद को विपणन हेतु व्यवस्थायें की जायेंगी। दूसरी ओर नकदी फसलों को बढ़ावा देते हुये नकद आय में वृद्धि के प्रयास किये जायेंगे।
खाद्य उत्पादन की वृद्धि हेतु जलागम विकास के माध्यम से जल एवं भूमि संरक्षण कार्य के साथ-साथ चारा एवं पंचायती वनों के विकास तथा औषधी एवं सुंगध पौधों के उत्पादों के विपणन पर भी बल दिया जायेगा। यह परियोजना अन्य कार्यक्रमों तथा योजनाओं से समन्वय रखेगी। इसके अतिरिक्त उत्पादक समूहों तथा संगठनों को कृषि उत्पादन गतिविधियों को प्राथमिकता देते हुये आर्थिक संसाधन उपलब्धता करायेगी।
परियोजना प्रमुख तीन प्रमुख घटक एवं कार्यदायी संस्थायें निम्न प्रकार हैं -
क्र0सं0परियोजना घटककार्यदायी संस्था
1.खाद्य सुरक्षा एवं अजीविका वृद्धिउत्तराखण्ड ग्रामीण विकास समिति (यू0जी0वी0एस0)
2.सहभागी जलागम विकासजलागम प्रबन्ध निदेशालय
3.आजीविका वित्तपोषणउत्तराखण्ड पर्वतीय आजीविका सम्बर्द्धन कंपनी (उ.प.आ.स.क.)

सहभागी जलागम विकास घटक का उद्देश्य


इस घटक का उद्देश्य चयनित सूक्ष्म जलागमों के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों की उत्पादक क्षमता का संरक्षण, वृद्धि एवं स्थायी कृषि का संवर्द्धन करना और निर्मित उत्पादों की बाजार तक पहुंच विकसित करना है।

परियोजना क्षेत्र :-


प्रदेश के जनपद पौड़ी, नैनीताल एवं चम्पावत जनपदों के सात विकासखण्डों के अंतर्गत 22 सूक्ष्म जलागमों के 70,194 हैक्टर में किया जाना है, जिससे 190 ग्राम पंचायतों के लगभग 22420 परिवार लाभान्वित होंगे। परियोजना के इस घटक के अंतर्गत IFAD द्वारा रू0 287 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी।